Tuesday, December 2, 2008

काजल की काली कोठरी
और सफ़ेद श्वेत वस्त्र
दाग तो लगना ही था
पर जरा विचार तो करो
कहीं यह कोठरी भी सफ़ेद होगी
ये तो नज़र का नजरिया है
हर नजराने के साथ बदलता है
हर हर्जाने के साथ बढ़ता है
हम तो ख़ुद को पहचानते ही हैं
दूसरों को बताना क्या है जरूरी ?
दूसरों को बताना क्यों है जरूरी ?