Monday, May 9, 2011

मेरी मृत्यु के बाद

मेरी मृत्यु के बाद
मुझे मत जलाना

क्योंकि मुझे जलन से बहुत डर लगता है

ऐसा करना
मुझे दफना ही देना

किसी सुनसान छोटी सी गुमनाम जगह में

गाड़ते हुए मुझे
ध्यान रखना एक बात का
सर पूरब और पैर मेरे पश्चिम में रखना
क्योंकि डूबता सूरज
बहुत पसंद है मुझे

मेरी देह पर
मिट्टी डालकर
लगा देना
घास बांस की
क्योंकि
बांस से मेरा अपनापा है

मेरी कब्र के चारों तरफ
(सिर्फ पैरों को छोड़कर)
लगाना खूब सारे अमलतास

ताकि उनके पीले peele फूल
बरसते रहे मेरे ऊपर
भरी गरमी में भी

पैरों वाली जगह भी
मत रखना खाली
वहां लगाना
एक पेड़ प्यारा पलाश का
कि उसके दहकते से लाल लाल फूल
मेरी देह के सूख चुके लहू में
तोड़ी सी गरमी दे सकें
और शायद पिघला दे
मेरी जमी हुई सांस को

कहना तो तुम्हें बहुत कुछ है

मेरी मृत्यु के
क्योंकि
जीवन से ज्यादा
इसी के बारे में सोचा है
पर फिर भी तुम्हें
कोशिश करूँगा
कि तुम्हें ज्यादा परेशानी न हो


मेरी मृत्यु के बाद


तुम


मेरे सिरहाने


एक शिला रखना


काले संगमरमर की


और लिखना उस पर


बिलकुल सफ़ेद सफ़ेद अक्षर


नाम लिखना मेरा


बड़े बड़े आकार में


ताकि कभी भूले भटके गुजरो उधर से


तो पहचान सको


ओह! तो यहाँ दफनाया था उसे


कभी मिलने की इच्छा हो तो


आना जरूर


तुमसे मिलना मुझे बहुत अच्छा लगता था


आओ तो साथ लाना कहीं से


पुष्प पारिजात के


सुना है


बहुत पवित्र होते हैं








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