भले ही असीम अँधेरा हो
पर रोशनी की एक राह तो
मिल ही जाएगी
अविश्वास के इस मरूस्थल में
विश्वास की एक नदी
मिल ही जाएगी
दानवों के इस दर्दे दंगल में
फ़रिश्ते सी कोई आत्मा
मिल ही जाएगी
हमें इंतजार है तो बस इस ज्वार के उतरने का
किनारों की कंचन सीपियाँ
मिल ही जाएगी
कभी न कभी तो वह वक्त आएगा ही
जब इस ठूंठ पर भी
पत्तों के संग रंग बिरंगे पुष्पों का समां छाएगा ही
प्रतीक्षा के इस प्रताड़ित दरिये में
धैर्य की एक नाव है
भूत की उस किनारे से
मंझधार वर्तमान का तूफ़ान सहना है
इस तरह हमें भविष्य का सफ़र तय करना है
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