शून्य , शून्य अनंत शून्य
और नितांत खालीपन
पत्रविहीन पुष्पविहीन
पतझड़ में पड़ा पेड़
इंतजार वसंत का
अनादि अनंत का
इंतजार - इंतजार
वक्त पे आयी बहार
वृक्ष का वसंत से
इंतजार के अंत से
हो रहा मधुर मिलन
चांदनी का चाँद भी
हंस रहा
रैन का श्रृंगार भी
दमक रहा
सहर का सुन्दर सूर्य
गगन में गुपचुप आ गया
तम के तीक्ष्ण तन का अंत
खुशियों का हुआ है जन्म .............
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