Monday, May 23, 2011

रास्ते वाले अमलतास

मै रोज देखता था उन्हें
गुजरते हुए उस रास्ते से
जो जाता था हॉस्पिटल से कॉलेज तक

सुबह सुबह बहुत जल्दी में
और लौटते हुए बहुत आराम से
कि दोनों तरफ
रास्ते के
कतार लगी है
फूलों से लदे
बहुत खुबसूरत अमलतास की

और खुश हो जाता था
मन ही मन
उनकी पीत आभा देखकर

फिर
एक दिन मौके से
हाथ बढाकर
तोड़ लिया एक गुच्छा
बहुत फब रहा था
वो मेरे हाथ में
अँगुलियों के बीच
उसकी अधखिली कलियाँ
बिलकुल पीले कमल की कलियों ka
chota pratiroop सी लग रही थी
जो तस्वीर में देखीं थी
बहुत बार
वैदेही या धन देवी के hathon में

और फिर
धीरे से
ले गया उसे
चेहरे के पास
और एक गहरी सांस ली
पर
उन खुबसूरत फूलों में
कोई खुशबू नहीं थी
का छोटा प्रतिरूप

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